नेता जी सुभाष चंद्र बोस किसी परिचय के मुहताज नहीं है । भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का नाम इतिहास में अमर रहेगा। अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया और देश को आजादी दिलाने में अहम् भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा, भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया हैं।
“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा “
“संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले मुझमे नहीं था।”
“इतिहास में कभी भी विचार -विमर्श से कोई ठोस परिवर्तन नहीं हासिल किया गया है।”
“मैंने अपने अनुभवों से सीखा है ; जब भी जीवन भटकता हैं, कोई न कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती।”
“एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार जीवन में खुद को अवतार लेगा।”
“समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !”
“मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !”
“मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !”
“मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है।”
“संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले मुझमे नहीं था।”
“ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।”
“असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !”
“सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! “